भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता, गजानन, विनायक, लंबोदर और गणपति जैसे अनेक नामों से जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं। प्रत्येक नाम उनके किसी विशेष गुण, स्वरूप या शक्ति का प्रतीक है। हिंदू शास्त्रों में गणेश जी के 108 नाम वर्णित हैं, और इन नामों के अर्थ जानने से हम उनके दिव्य स्वरूप को गहराई से समझ सकते हैं।
गणेश जी का महत्व
गणेश जी को सिद्धिदाता और विघ्नहर्ता कहा जाता है। किसी भी कार्य की शुरुआत उनके पूजन के बिना अधूरी मानी जाती है। माना जाता है कि उनके 108 नामों का जप करने से सभी बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में समृद्धि, ज्ञान और शांति आती है।

गणेश जी के 108 नाम और उनके अर्थ
यह रहे भगवान गणेश के पूर्ण 108 नाम (अष्टोत्तर शतनामावली):
- गजानन — ॐ गजाननाय नमः।
- गणाध्यक्ष — ॐ गणाध्यक्षाय नमः।
- विघ्नराज — ॐ विघ्नराजाय नमः।
- विनायक — ॐ विनायकाय नमः।
- द्वैमातुर — ॐ द्वैमातुराय नमः।
- द्विमुख — ॐ द्विमुखाय नमः।
- प्रमुख — ॐ प्रमुखाय नमः।
- सुमुख — ॐ सुमुखाय नमः।
- कृति — ॐ कृतिने नमः।
- सुप्रदीप — ॐ सुप्रदीपाय नमः।
- सुखनिधि — ॐ सुखनिधये नमः।
- सुराध्यक्ष — ॐ सुराध्यक्षाय नमः।
- सुरारिघ्न — ॐ सुरारिघ्नाय नमः।
- महागणपत — ॐ महागणपतये नमः।
- मान्य — ॐ मान्याय नमः।
- महाकाल — ॐ महाकालाय नमः।
- महाबल — ॐ महाबलाय नमः।
- हेरम्ब — ॐ हेरम्बाय नमः।
- लम्बजठर — ॐ लम्बजठरायै नमः।
- ह्रस्वग्रीव — ॐ ह्रस्व ग्रीवाय नमः।
- महोदर — ॐ महोदराय नमः।
- मदोत्कट — ॐ मदोत्कटाय नमः।
- महावीर — ॐ महावीराय नमः।
- मन्त्रि — ॐ मन्त्रिणे नमः।
- मंगलस्वर — ॐ मङ्गल स्वराय नमः।
- प्रमध — ॐ प्रमधाय नमः।
- प्रथम — ॐ प्रथमाय नमः।
- प्राज्ञ — ॐ प्राज्ञाय नमः।
- विघ्नकर्तृ — ॐ विघ्नकर्त्रे नमः।
- विघ्नहर्तृ — ॐ विघ्नहर्त्रे नमः।
- विश्वनेत्र — ॐ विश्वनेत्रे नमः।
- विराट्पति — ॐ विराट्पतये नमः।
- श्रीपति — ॐ श्रीपतये नमः।
- वाक्पति — ॐ वाक्पतये नमः।
- शृङ्गारि — ॐ शृङ्गारिणे नमः।
- आश्रितवत्सल — ॐ अश्रितवत्सलाय नमः।
- शिवप्रिय — ॐ शिवप्रियाय नमः।
- शीघ्रकारी — ॐ शीघ्रकारिणे नमः।
- शाश्वत — ॐ शाश्वताय नमः।
- बल — ॐ बल नमः।
- बलोद्धित — ॐ बलोत्थिताय नमः।
- भवात्मज — ॐ भवात्मजाय नमः।
- पुराणपुरुष — ॐ पुराण पुरुषाय नमः।
- पूषा — ॐ पूष्णे नमः।
- पुष्करोत्षिप्तवारि — ॐ पुष्करोत्षिप्त वारिणे नमः।
- अग्रगण्य — ॐ अग्रगण्याय नमः।
- अग्रपूज्य — ॐ अग्रपूज्याय नमः।
- अग्रगामि — ॐ अग्रगामिने नमः।
- मन्त्रकृत् — ॐ मन्त्रकृते नमः।
- चामीकरप्रभ — ॐ चामीकरप्रभाय नमः।
- सर्व — ॐ सर्वाय नमः।
- सर्वोपास्य — ॐ सर्वोपास्याय नमः।
- सर्वकर्तृ — ॐ सर्व कर्त्रे नमः।
- सर्वनेत्र — ॐ सर्वनेत्रे नमः।
- सर्वसिद्धिप्रद — ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः।
- सिद्धि — ॐ सिद्धये नमः।
- पञ्चहस्त — ॐ पञ्चहस्ताय नमः।
- पार्वतीनन्दन — ॐ पार्वतीनन्दनाय नमः।
- प्रभु — ॐ प्रभवे नमः।
- कुमारगुरु — ॐ कुमारगुरवे नमः।
- अक्षोभ्य — ॐ अक्षोभ्याय नमः।
- कुंजरासुरभञ्जन — ॐ कुञ्जरासुर भञ्जनाय नमः।
- प्रमोद — ॐ प्रमोदाय नमः।
- मोदकप्रिय — ॐ मोदकप्रियाय नमः।
- कान्तिमान् — ॐ कान्तिमते नमः।
- धृतिमान् — ॐ धृतिमते नमः।
- कामि — ॐ कामिने नमः।
- कपित्थपनसप्रिय — ॐ कपित्थपनसप्रियाय नमः।
- ब्रह्मचारी — ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।
- ब्रह्मरूपि — ॐ ब्रह्मरूपिणे नमः।
- ब्रह्मविद्यादिदानभु — ॐ ब्रह्मविद्यादि दानभुवे नमः।
- जिष्णु — ॐ जिष्णवे नमः।
- विष्णुप्रिय — ॐ विष्णुप्रियाय नमः।
- भक्तजीवित — ॐ भक्त जीविताय नमः।
- जितमन्मथ — ॐ जितमन्मधाय नमः।
- ऐश्वर्यकारण — ॐ ऐश्वर्यकारणाय नमः।
- ज्येष्ठ/ज्यायान् — ॐ ज्यायसे नमः।
- यक्षकिन्नरसेवित — ॐ यक्षकिन्नेर सेविताय नमः।
- गङ्गासुत — ॐ गङ्गा सुताय नमः।
- गणाधीश — ॐ गणाधीशाय नमः।
- गम्भीरनिनद — ॐ गम्भीर निनदाय नमः।
- वट — ॐ वटवे नमः।
- अभीष्टवरद — ॐ अभीष्टवरदाय नमः।
- ज्योतिष — ॐ ज्योतिषे नमः।
- भक्तनिधि — ॐ भक्तनिधये नमः।
- भावगम्य — ॐ भावगम्याय नमः।
- मंगलप्रद — ॐ मङ्गलप्रदाय नमः।
- अव्यक्त — ॐ अव्यक्ताय नमः।
- अप्राकृतपराक्रम — ॐ अप्राकृत पराक्रमाय नमः।
- सत्यधर्मि — ॐ सत्यधर्मिणे नमः।
- सखा — ॐ सखये नमः।
- सरसाम्बुनिधि — ॐ सरसाम्बुनिधये नमः।
- महेश — ॐ महेशाय नमः।
- दिव्याङ्ग — ॐ दिव्याङ्गाय नमः।
- मणिकिङ्किणीमेखल — ॐ मणिकिङ्किणी मेखालाय नमः।
- समस्तदेवतामूर्ति — ॐ समस्त देवता मूर्तये नमः।
- सहिष्णु — ॐ सहिष्णवे नमः।
- सततोत्थित — ॐ सततोत्थिताय नमः।
- विघातकारी — ॐ विघातकारिणे नमः।
- विश्वग्दृश — ॐ विश्वग्दृशे नमः।
- विश्वरक्षाकृत् — ॐ विश्वरक्षाकृते नमः।
- कल्याणगुरु — ॐ कल्याणगुरवे नमः।
- उन्मत्तवेष — ॐ उन्मत्तवेषाय नमः।
- अपराजित — ॐ अपराजिते नमः।
- समस्तजगदाधार — ॐ समस्त जगदाधाराय नमः।
- सर्वैश्वर्यप्रद — ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः।
- आक्रान्तचित्चित्प्रभव — ॐ आक्रान्त चिद चित्प्रभवे नमः।
- श्रीविघ्नेश्वर — ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः।
इन्हें आप जप/पाठ के रूप में क्रमवार बोल सकते हैं—प्रत्येक नाम के अंत में “नमः” अवश्य उच्चारित करें। शुभम्।
गणेश जी के 108 नामों के जप का महत्व
गणेश जी के इन नामों का स्मरण और जप करने से भक्त के जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा आती है। यह नाम विघ्नों को दूर करते हैं, मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं और सभी कार्यों में सफलता दिलाते हैं।
गणेश चतुर्थी और 108 नामों का पाठ
विशेषकर गणेश चतुर्थी के अवसर पर भक्त गणेश जी के इन 108 नामों का पाठ और स्तुति करते हैं। यह पाठ न केवल भक्त को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है बल्कि उनके जीवन में धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य भी लाता है।
निष्कर्ष
भगवान गणेश के 108 नाम उनके दिव्य स्वरूप, गुण और शक्तियों का विस्तार हैं। प्रत्येक नाम हमें उनके विशेष गुण का स्मरण कराता है और जीवन में मार्गदर्शन देता है। जो भी व्यक्ति इन नामों का नियमित रूप से जप करता है, उसका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाता है।